सर्वनाम
सर्वनामों की कारक रचना:-
संज्ञा
शब्द के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द को सर्वनाम कहते हैं। संज्ञा की भाँति
ही उनके विकारी और अविकारी रुप होते हैं। संज्ञा के समान सर्वनाम में भी वचन और
कारक हैं। लिंग के कारण सर्वनामों का रुप नहीं बदलता। विभक्तिरहीत कर्ता कारक की
बहुवचन रचना में पुरुषवाचक और अनिश्चयवाचक सर्वनामों को छोडकर शेष (अन्य)
सर्वनामों का रूपांतर नहीं होता। विभक्ति के योग से अधिकांश सर्वनाम दोनों वचनों
में विकृत रुपो में आते हैं। अनिश्चयवाचक और निजवाचक सर्वनामों की कारक रचना केवल
एक वचन में होती हैं। ‘क्या’ और ‘कुछ’ सर्वनामों का कोई रूपांतर नहीं होता। उनका
प्रयोग केवल विभक्तिरहीत कर्ताकारक और कर्मकारक में होता हैं। इस रूपांतर पर विचार
करने के पश्चात सर्वनामों की कारक रचना को निम्नांकित रुप में विवेचित किया जा
सकता हैं-
1)
पुरुषवाचक
सर्वनाम ( मै, तु
) - मुझ, तुझ।
2)
निश्चयवाचक
सर्वनाम ( यह, वह
) - इस, उस।
3)
संबंधसुचक
/ वाचक सर्वनाम ( जो ) - जिस।
4)
प्रश्नवाचक
सर्वनाम ( कौन ) - किस।
5)
अनिश्चयवाचक
सर्वनाम ( कोई, कुछ
) - कोई, कुछ, किसी।
6)
निजवाचक
सर्वनाम (आप) - आप।
1)
पुरुषवाचक
सर्वनाम ( मै, तु
):-
पुरुषवाचक
सर्वनाम की कारक रचना में बहुत समानता हैं। कर्ता और संबोधन कारक को छोडकर शेष, कारकों में एक वचन में ‘मैं’
का
विकृत रुप ‘मुझ’ और ‘तु’ का विकृत रुप ‘तुझ’
होता
हैं। संबंधकारक के दोनों वचनों में ‘‘मै’’ का विकृत रुप क्रमश:‘में’
और
‘हम’ होता हैं। विभक्तिसहीत कर्ता कारक के
दोनों वचनों में और संबंधकारक को छोडकर शेष कारकों में बहुवचन में दोनों का रुप
अविकृत रहता हैं। पुरुषवाचक सर्वनामों की कारक रचना के विभिन्न रुप इस प्रकार हैं।
उत्तम पुरुष–‘मैं’
कारक
एकवचन
बहुवचन
1)
कर्ताकारक
( मूलरूप
‘0’ ) मैं हम
( विकृतरुप
‘ने’ ) मैंने हमने
2)
कर्मकारक
( मूलरुप
‘0’ ) मुझे हमें
( विकृतरुप
‘को’ ) मुझको हमकों
3)
करण
कारक ( से ) मुझसे हमसे
4)
संप्रदान
कारक (को, के
लिए) मुझको हमको
5)
अपादान
कारक ( से ) मुझसे हमसे
6)
संबंध
कारक मेरा, मेरी, मेरे हमारा, हमारी, हमारे
( का, की,
के, रा,
री, रे )
7)
आधिकरण
कारक मुझमें हममें
( में, पर ) मुझ
पर हम
पर
मध्यम
पुरुष – ‘तु’
कारक
एकवचन
बहुवचन
1)
कर्ताकारक
( मूलरुप
‘0’ ) तु
तुम
( विकृतरुप
‘ने’ ) तुने तुमने
2)
कर्मकारक
( मूलरुप
‘0’ ) तुझे तुम्हें
( विकृतरुप
‘को’ ) तुझको तुमको
3)
करणकारक तुझसे तुमसे
( से
)
4)
संप्रदान
कारक तुझको तुमको
( को, के लिए )
5)
अपादान
कारक ( से ) तुझसे तुमसे
6)
संबंधकारक
तेरा, तेरी, तेरे तुम्हारा,तुम्हारी,तुम्हारे
( का, की,
के, रा,
री, रे )
7)
अधिकरण
कारक ( में, पर
) तुझमें
तुममे
तुझपर तुमपर
2)
निश्चयवाचक
सर्वनाम (यह, वह
):-
जिस
सर्वनाम से पास की या दुर की वस्तुओंका बोध होता हैं, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। निश्चयवाचक
सर्वनाम के दोनो वचनों कीकारक रचना में विकृत रुप आता हैं। एकवचन में ‘यह’
का
विकृत रुप ‘इस’ और ‘वह’ का विकृतरुप ‘उस’
होता
हैं। इसी तरह बहुवचन में ‘इन’ और ‘उन’ आते हैं। इनके विभक्तिसहीत बहुवचन
कर्ताकारक के अन्त में ‘न’ में विकल्पसे ‘ह’
जोडा
जाता हैं। कर्म तथा संप्रदान कारकों में बहुवचन में ‘ए’
के
पहले ‘न’ में ‘ह’
मिलाया
जाता हैं। अनिश्चयवाचक सर्वनामों की कारक रचना को निचे स्पष्ट किया जाता हैं।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम ( यह )
कारक एकवचन बहुवचन
1)
कर्ताकारक
(मूलरुप
‘0’) यह
ये
(विकृतरुप
‘ने’) इसने इन्होंने
2)
कर्मकारक
(मूलरुप
‘0’) इसे इन्हें
(विकृतरुप
‘को’) इसको इनको
3)
करणकारक
(से) इससे इनसे
4)
संप्रदान
कारक इसको, इसके लिए इनको,इनके लिए
(को, के लिए)
5)
अपादान
कारक (से) इससे इनसे
6)
संबंधकारक
इसका, इसकी,इसके इनका,इनकी,इनके
(का, की,
के,रा,
री, रे)
7)
अधिकरण
कारक इसमें इनमें
(में, पर) इसपर इनपर
निश्यचवाचक सर्वनाम ( वह )
कारक एकवचन बहुवचन
1)
कर्ताकारक
( मूलरुप
‘0’ ) वह वे
( विकृतरुप
‘ने’ ) उसने उन्होंने
2)
कर्मकारक
( मूलरुप
‘0’ ) उसे उन्हें
( विकृतरुप
‘को’ ) उसको उनको
3)
करणकारक
( से
) उससे उनसे
4)
संप्रदान
कारक उसको उनको
( को, के लिए ) उसके लिए उनके लिए
5)
अपादान
कारक ( से ) उससे
उनसे
6)
संबंधकारक
उसका, उसकी, उसके उनका, उनकी, उनके
( का, की,
के, रा,
री, रे )
7)
अधिकरण
कारक ( में, पर
) उसमें, उसपर उनमें, उनपर
3)
संबंधसुचक
/ संबंधवाचक सर्वनाम ( जो )
जिस सर्वनाम से एक बात का सम्बन्ध दुसरी बातसे
दिखाया जाता हैं, उसे
संबंधवाचक या संबंधसुचक सर्वनाम कहते हैं। संबंधवाचक सर्वनाम की कारक रचना को
निम्नांकित रुप में देखा जा सकता हैं।
संबंधवाचक सर्वनाम ( जो )
कारक एकवचन बहुवचन
1)
कर्ताकारक
( मूलरुप
‘0’ ) जो जो
( विकृतरुप
‘ने’ ) जिसने जिन्होंने
2)
कर्मकारक
( मूलरुप
‘0’ ) जिसे
जिन्हे
( विकृतरुप
‘को’ ) जिसको जिनको
3)
करणकारक( से ) जिससे जिनसे
4)
संप्रदान
कारक जिसको जिनको
( को, के लिए ) जिसके
लिए जिनके लिए
5)
अपादान
कारक ( से ) जिससे
जिनसे
6)
संबंधकारक
जिसका, जिसकी, जिसके जिनका,जिनकी, जिनके
( का, की,
के, रा,
री, रे )
7)
अधिकरण
कारक ( में, पर
) जिसमें,
जिसपर जिनमें, जिनपर
4) प्रश्नवाचक सर्वनाम ( कौन, क्या )
प्रश्न
पुछने के लिए जिस सर्वनाम का प्रयोग होता हैं, उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। कोई प्रश्न
करने के लिए ऐसे सर्वनामों का प्रयोग होता हैं। प्रश्नवाचक सर्वनाम ‘कौन’
और
‘क्या’ की कारक रचना निम्नलिखित हैं।
प्रनवाचक सर्वनाम ( कौन )
कारक एकवचन
बहुवचन
1)
कर्ताकारक
( मूलरुप
) कौन कौन
( विकृतरुप
‘ने’ ) किसने किन्होंने
2)
कर्मकारक
( मूलरुप
) किसे
किन्हे
( विकृतरुप
‘को’ ) किसको किनको
3)
करणकारक( से )
किससे किनसे
4)
संप्रदान
कारक किसको किनको
( को, के लिए ) किसके लिए किनके
लिए
5)
अपादान
कारक ( से ) किससे किनसे
6)
संबंधकारक
किसका, की,
के
किनका, की,
के
( का, की,
के, रा,
री, रे )
7)
अधिकरण
कारक ( में, पर
) किसमें, किसपर किनमें, किनपर
‘क्या’ के विकृत रुप को ‘काहे को’, ‘काहे से’ आदि का प्रयोग नहीं होता।
5)
अनिश्चयवाचक
सर्वनाम ( कोई, कुछ
)
जिस
सर्वनाम से किसी निश्चित वस्तु का बोधनहीं होता उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
उदा. कोई, कुछ
सर्वनाम इनसे निश्चित रुप से कोई बोध नहीं होता। ऐसे सर्वनाम अनिश्चयवाचक सर्वनाम
हैं। अनिश्चयवाचक सर्वनामों की कारकरचना निचे दी जाती हैं।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम ( कुछ )
कारक एकवचन
बहुवचन
1)
कर्ताकारक
( मूलरुप
) कुछ कुछ
( विकृतरुप
‘ने’ ) - -
2)
कर्मकारक
( मूलरुप
) - -
( विकृतरुप
‘को’ ) कुछको कुछको
3)
करणकारक( से ) कुछसे कुछसे
4)
संप्रदान
कारक कुछको कुछको
( को, के लिए ) कुछके
लिए कुछके लिए
5)
अपादान
कारक ( से ) कुछसे कुछसे
6)
संबंधकारक
कुछका, की,
के
कुछका, की,
के
( का, की,
के, रा,
री, रे )
7)
अधिकरण
कारक ( में, पर
) कुछ में, कुछ पर कुछ
में, कुछ
पर
‘कुछ’ सर्वनाम का रुप दोनों वचनों में एकसमान
रहता हैं। एकवचन को तो परीमाण का और बहुवचन हो तो ‘संख्या’ का बोध होता हैं।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम ( कोई )
कारक एकवचन
बहुवचन
1)
कर्ताकारक
( मूलरुप
) कोई कोई
( विकृतरुप
‘ने’ ) किसी
ने किसी - किसी ने
2)
कर्मकारक
( मूलरुप
) - -
( विकृतरुप
‘को’ ) किसीको किसी - किसी को
3)
करणकारक( से ) किसी
से किसी
- किसी से
4)
संप्रदान
कारक किसी को किसी - किसी को
( को, के लिए ) किसी
के लिए किसी-किसी
के लिए
5)
अपादान
कारक ( से ) किसी से किसी - किसी से
6)
संबंधकारक
किसीका, की,
के किसी-किसी, की,
के
( का, की,
के, रा,
री, रे )
7)
अधिकरण
कारक किसी में, किसी
- किसी मे,
( में, पर ) किसीपर किसी
- किसी पर
‘कोई’ का बहुवचन ‘कोई - कोई’, ‘किसी - किसी’ आदि हो सकता हैं।
6)
निजवाचक
सर्वनाम ( आप )
जिस
सर्वनाम से स्वयं या खुद का बोध होता हैं,
उसे
निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। आदरसूचक ‘आप’ सर्वनाम से यह भिन्न हैं। निजवाचक आप
सर्वनाम की कारक रचना निम्नांकित हैं।
निजवाचक सर्वनाम ( आप )
कारक एकवचन
बहुवचन
1)
कर्ताकारक
( मूलरुप
) आप आप
( विकृतरुप
‘ने’ ) आपने आपने
2)
कर्मकारक
( मूलरुप
‘0’ ) - -
( विकृतरुप
‘को’ ) आपको आपको
3)
करणकारक
( से ) आपसे/अपनेसे आपसे/अपनेसे
4)
संप्रदान
कारक आपको, अपने के लिए आपको
( को, के लिए )
5)
अपादान
कारक ( से ) आपसे, अपने से आपसे, अपनेसे
6)
संबंधकारक
( का, की, के ) आपका,
की, के आपका, की,
के
7)
अधिकरण
कारक आपमें, अपने में आपमें, अपने में
( में, पर ) आपपर, अपने
पर आपपर, अपने पर
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